....................................................................................................................................................................
यहां प्रस्तुत कार्टून या अन्य सामग्री को बिना अनुमति छापना चोरी, कानूनी अपराध और निन्दनीय कार्य है। यह लेखक/रचनाकार के अधिकार का हनन और कॉपीराइट का उल्लंघन है। यह ब्लॉग हमारे सुधी पाठकों के लिये है। इस ब्लॉग के कार्टून, चित्र व फोटो सहित समस्त सामग्री कॉपीराइटेड है जिसका बिना लिखित अनुमति किसी भी वेबसाइट, पुस्तक, समाचार पत्र, सॉफ्टवेयर या अन्य किसी माध्यम में प्रकाशित/उपयोग/वितरण करना मना है। अपनी आवश्यकता के लिए सम्पर्क करने हेतु यहां क्लिक करें-चन्दर

कार्टूनेचर फ़ीचर सेवा

Sunday, September 30, 2012

फ़ोटो कार्टून

ऐसे बनते हैं फ़ोटो कार्टून
आइए, देखिए फ़ोटो कार्टून जो मैंने सम्वाद/बिना सम्वाद के अपने हिन्दी पाक्षिक ‘मीडिया नेटवर्क’ के लिए बनाए थे।
एक पाठक द्वारा फ़ोटो कार्टून के बारे में पूछे जाने पर इसको लेकर तब सम्वाददाता उमा शंकर ने मुझसे बातचीत करके लिखा था- ऐसे बनते हैं फ़ोटो कार्टून। (मीडिया नेटवर्क, १५, नवम्बर, १९९२)

Friday, September 14, 2012

चौधराहट

प्रिय कार्टूनिस्ट बन्धु
विस्वास है स्वस्थ-प्रसन्न होंगे।
क्या आपने मान्य इरफ़ान खान को असीम त्रिवेदी के कार्टूनों को लेकर निंदा करने के लिए अधिकृत किया है? स्वयं देखें, असीम के बहाने कार्टूनिस्टों का स्वयंभू प्रतिनिधि/मुखिया बनने का प्रयास किया जा रहा है।
-चन्दर
.............................................................
असीम के बहाने चौधराहट
हाल ही में कार्टूनिस्ट असीम के कार्टूनों को लेकर दिल्ली के एक अखबार में इरफ़ान खान का एक लेख छपा है जिसमें उन्होंने लिखा है-
(१) मैं कार्टूनिस्ट बिरादरी की तरफ़ से इसकी निंदा करता हूं। (२) हम पूरी कार्टूनिस्ट बिरादरी इसकी निंदा करते हैं।
(चित्र देखें)
भैया, क्या आपको तमाम कार्टूनिस्टों ने अपना चौधरी नियुक्त कर दिया है? आप कार्टूनिस्टों के धर्मगुरु या मुखिया नहीं हैं। किसी विषय पर आप व्यक्तिगत राय देने के लिए स्वतन्त्र हैं। आपको लिखने और किसी भी अखबार-पत्रिका-वेबसाइट को छापने की पूरी आज़ादी है पर सभी कार्टूनिस्टों के ठेकेदार मत बनिए। यह जरूरी नहीं कि आपके विचारों से सभी कार्टूनिस्ट सहमत हों या आप जैसा कार्टूनिस्ट अन्य के विचारों से सहमत हो। क्या आपको सभी कार्टूनिस्टों ने अपनी ओर से निंदा करने को अधिकृत कर दिया है? अच्छा यही है कि आप अपने तक ही सीमित रहें।

Thursday, September 6, 2012

पाइप

पाइप को माला 
भारत के माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन में कार्टूनपन्ना कार्टूनिस्ट चन्दर ने उनका एक  कैरीकेचर भैंट किया। इस कैरीकेचर में पार्श्व में लटकी पाइप की पेण्टिंग को माला पहना दी गयी है। उल्लेखनीय है कि श्री प्रणब मुखर्जी लम्बे समय तक पाइप पीते रहे हैं। उनको लेकर बनाये गये लगभग हर कार्टून में उनके हाथ या मुंह में पाइप दिखाया जाना उनकी विशिष्ट पहचान में शामिल हो गया था। इस कार्टून को देखकर वे मुस्कराये बिना नहीं रह सके और हंसते हुए मुझसे बोले- आपने तो हमारे पाइप को ही माला पहना दिया!
राष्ट्रपति भवन में जाकर उनसे मिलना और यह कार्टून भैंट करना मुझे बहुत अच्छा लगा।
हाल ही में (शनिवार, १ सितम्बर, २०१२ को) राजधानी के कुछ कार्टूनिस्ट उनसे जानेमाने कार्टूनिस्ट (स्वर्गीय) कुट्टी की पहली पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में उन्हें आमन्त्रित करने हेतु भैंट करने गये थे। उन्हें लगभग सभी कार्टूनिस्टों ने चित्र भैंट किए।
और जानकारी के लिए लिन्क देखें- कार्टून न्यूज़ हिन्दी
मुझ से फ़ेसबुक पर मिलें

Wednesday, September 5, 2012

नमन

आज शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को नमन 
स्वर्गीय वीर सिंह (पूर्व प्राचार्य)
मैं आज अन्य शिक्षकों के अलावा अपने शिक्षक पिता स्वर्गीय वीर सिंह जो मध्य प्रदेश के धमधा, जिला दुर्ग (अब छत्तीसगढ़ में) से प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए, को भी सादर नमन करता हूं। वे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के बिजरौनी और बामौर कलां में माध्यमिक विद्यालयों में प्रधान अध्यापक और कौलारस, नरवर तथा रन्नौद में सहायक विद्यालय निरीक्षक के रूप में कार्य करने के बाद होशंगाबाद के सेमरी हरचन्द और फ़िर दुर्ग के धमधा में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (कन्या) के प्राचार्य रहे। बिजरौनी और बामौर कलां में उन्होंने विद्यालय के अलावा छात्रों को अलग से बिना कोई ट्यूशन फ़ीस लिए बिना किसी भेदभाव के जमकर पढ़ाया जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आये। छात्रों पर छाए अंग्रेजी के भय को दूर करने के लिए उन्होंने अंग्रेजी सीखने को लेकर एक पतली सी पुस्तक भी १९५४ में लिखी थी। विद्यालय निरीक्षक रहते हुए इकहरे शरीर के इस स्वामी ने अन्य कई जिम्मेदारियां निभाते हुए साइकल द्वारा लगभग रोजाना ५०-६० किलोमीटर अपने सहायक के साथ दूर-दराज के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर यात्राएं कीं। बिना कोई पूर्व सूचना दिए विद्यालयों का खूब निरीक्षण किया जिसके कारण कई कामचोर और दबंग अध्यापकों की धमकियां भी उन्हें मिलीं पर वे इससे वे डरे नहीं और प्रेम से लोगों को समझा-बुझाकर अपना कर्त्तव्य निभाते रहे। वे व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार लगे रहे। उनके एक पूर्व छात्र ने मुझे बताया कि उसके परिवार की बहुत खराब आर्थिक स्थिति के चलते ‘गुरूजी’ ने बहुत मदद की- उच्च शिक्षा दिलाने तक। वे ऐसी बातों की किसी से जरा भी चर्चा नहीं करते थे। अपने वेतन में से वे ऐसे कार्यों में सामर्थ्य से अधिक खर्च करते रहते थे। वे पूरा जीवन मेहनती, ईमानदार और परोपकारी रहे। उनकी पढ़ाने के अलावा स्वयं पढ़ने में भी बहुत रुचि थी। धर्म, योग, भूगोल आदि पर पढ़ना उन्हें प्रिय था। गीता प्रेस गोरखपुर व अन्य प्रकाशनों से भी डाक द्वारा वे नियमित रूप से कल्याण पत्रिका और काफ़ी पुस्तकें मंगाते रहते थे। परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते हाई स्कूल के बाद वे आगरा के एसएन हॉस्पीटल में १०-१२ घण्टे ड्यूटी करने के बाद ढिबरी या कैरोसिन लेम्प की रोशनी में पढ़ाई कर स्नातक हुए। बाद में एलटी व साहित्य रत्न भी किया। एमए (भूगोल) काफ़ी बाद में विद्यालय निरीक्षक रहते हुए किया। उनका परिवार मथुरा जिले के एक गांव का काफ़ी समर्थ-समृद्ध और बड़ा परिवार था जो पांच बार डकैतियां पड़ने के बाद परेशान हो अपनी जमीन-जायदाद यूंही छोड़कर आगरा और मथुरा में बस गया। मैं विज्ञान विषय लेकर पढ़ रहा था पर मेरी रुचि कला में थी सो परीक्षा में उत्तीर्ण होना दूर की कौड़ी रहा। खींचखांचकर हायर सेकंडरी किया। इस बीच कभी उन्होंने पेन-पेन्सिल तो दूर सरकारी सामान में से एक कागज तक नहीं लेने दिया। एक बार मेरे द्वारा एक कार्बन पेपर चुराकर लेने पर पोल खुलते ही मुझे बहुत डांटा। हां, मेरे चित्र-कार्टून बनाने पर उन्होंने कभी आपत्ति नहीं की और पत्र-पत्रिका-पुस्तक, कागज, पेन्सिल, स्याही, क्रोक्विल, ब्रश, रंग आदि दिलाने में कभी कंजूसी नहीं दिखाई। मुझे सदा प्रेरित किया। कौलारस, नरवर, मगरौनी आदि गांवों में दूरदूर तक कोई चित्रकार या कला शिक्षक नहीं था सो मुझे कोई मार्गदर्शन नहीं मिल सका। जो किया, खुद किया। अपने आदर्श शिक्षक पिता का में सदा ऋणी रहूंगा। उन्हें पुन: सादर नमन!
• टी.सी. चन्दर
फ़ेसबुक facebook पर देखें

Sunday, September 2, 2012

कार्टूनिस्ट

राष्ट्रपति से मिले राजधानी के कार्टूनिस्ट
राजधानी के कार्टूनिस्टों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केरल कार्टून अकादमी के कार्यक्रम समन्वयक के नेत्रत्व में  भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रभवन में आज (०१/०९/२०१२) भैंट की। अधिकांश कार्टूनिस्टों ने राष्ट्रपति को अपने द्वारा बनाये कैरीकेचर-कार्टून भैंट किये। अपने ऊपर बने तरह-तरह कार्टून-कैरीकेचर देखकार कई बार उनके चेहरे पर अनायास ही मुस्कान आ गयी।
केरल कार्टून अकादमी ने स्वर्गीय कार्टूनिस्ट की पहली पुण्यतिथि (२२ अक्टूबर, २०१२) के अवसर पर उनके स्मरण का कार्यक्रम बनाया है जिसके अक्टूबर, 2012 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में आयोजित होने की आशा है।  इस कार्यक्रम में आने के लिए उन्हें आमन्त्रित किया गया। कार्टूनिस्ट कुट्टी को लेकर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल होने के वे इच्छुक हैं।
मलयालम भाषी केपीएस कुट्टी केरल निवासी थे और उनके कार्टून बंग्ला अखबार में छपते थे। उन्हें बंला भाषा नहीं आती थी और अखबार मालिक मलयाम नहीं जानते थे। आपको याद होगा आनन्द बाज़ार पत्रिका समूह की चर्चित साप्ताहिक हिदी पत्रिका `रविवार' के अन्तिम पृष्ठ पर ‘कुट्टी का कार्टून’ छपता था जिसे तमाम पाठक सबसे पहले देखा करते थे। उन्होंने लगभग सात दशक जो कार्टून बनाए उनमें से कई कार्टूनों के पात्र वर्तमान राष्ट्रपति भी बने। ९० साल की आयु में अमरीका में उनका गत वर्ष निधन हो गया था।
केरल कार्टून अकादमी के पूर्व सचिव और अभी कार्यक्रम समन्वयक कार्टूनिस्ट सुधीर नाथ के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिलने गये कार्टूनिस्टों के इस प्रतिनिधि मण्डल में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट काक (प्रभासाक्षी), जयन्तो बनर्जी (हिन्दुस्तान टाइम्स), श्यामल बनर्जी (मिण्ट), चन्दर (कार्टूनपन्ना), जगजीत राणा (दै. जागरण), रोहनीत फ़ोर (इण्डियन एक्सप्रेस), सजीत कुमार (डेक्कन क्रॉनीकल), प्रसान्थ (भारतीय वर्तमान), शिजू जॉर्ज (स्वतन्त्र), मनोज कुरील (स्वतन्त्र) और सत्य गोविन्द (स्वतन्त्र) शामिल थे।
देखें- केरल कार्टून अकादमी   केरल कार्टून अकादमी   कार्टूनपन्ना  



कार्टूनेचर फ़ीचर सेवा

ताज़ा सामग्री